1000 में से 10 प्रीमैच्योर बच्चों(वक़्त से पहले जन्म लेने वाले बच्चे) की जान केवल 60 सेकंड की एक तक्नीक से बचाई जा सकती है| सिड्नी युनिवर्सिटी के रीसर्चेस ने पता लगाया की बच्चे के पैदा होती ही उसका अम्बिलिकल कॉर्ड ना काटने के बजाये उसे 60 सेकंड के बाद काटें तो उसकी उम्र अधिक समय के लिए बढ़ जाती है|
उन रीसर्चेसों ने 2800 बच्चों में से 37 हफ़्तों तक परीक्षण किया और ये पाया की जिन बच्चों के अम्बिलिकल कॉर्ड देर से काटे गए उनका अधिक समय के लिए जीवित रहना अनिवार्य था|
उन लोगों ने पता लगाया की वक़्त से पहले होने वाले बच्चों के अम्बिलिकल कॉर्ड यदि उनके पैदा होते ही अम्बिलिकल कॉर्ड काटने के बजाये उसे 60 सेकंड के बाद काटा जाए तो वो उनकी जान बचा सकता है|
इसका मतलब है की अगर दुनिया भर के लोग जन्म के फ़ौरन बाद अम्बिलिकल कॉर्ड काटने की जगह उसे कुछ समय बाद काटें तो हर साल 11,000 से 100,000 के बीच कई ज़िंदगियाँ बचायी जा सकती हैं|
ओब्स्टेट्रिक और गायनोकॉलोजी की अमेरिकन जर्नल की एक स्टडी से पता चलता है की इस तकनीक का इस्तेमाल प्लेसेंटा से बच्चे तक खून के बहाव को बढ़ा देता है जिससे ब्लड प्रेशर और हेमाटोक्रिट(खून में शामिल रेड ब्लड सेल की मात्रा) में सुधार आता है|
पहले 'अर्ली क्लैंपिंग'(पैदा होते ही अम्बिलिकल कॉर्ड काट देना) resuscitation, hypothermia और jaundice जैसी बीमारियों के नुक्सान से बचाने के लिए अधिकतर इस्तेमाल में था|
नैशनल हेल्थ यूनिवर्सिटी और मेडिकल रिसर्च कौंसिल के डॉक्टरों ने इस बात से सहमति दिखाई की पैदा होने के फ़ौरन बाद अम्बिलिकल कॉर्ड ना काटने पर जॉन्डिस और पोलीसाईथेमिआ होने के आसार बढ़ जाते हैं लेकिन इसके इस्तेमाल से कई जानें बचाई जा सकती हैं और भारत में वक़्त से पहले होने वाले कई बच्चों की जानें बचायी जा सकती हैं|