Tuesday, 14 November 2017

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प्लास्टिक के बोतल से दूध पिलाना कितना सुरक्षित


एक वक़्त था जब शिशु को माँ के दूध के अलावा अगर बाहरी दूध दिया जाता था तो उसे चम्मच से पिलाया जाता था परन्तु, वक़्त के साथ-साथ चीज़ें बदलने लगी और चम्मच की जगह बोतलों ने ले ली। आजकल शिशु जब बड़े होने लगते हैं तो उन्हें प्लास्टिक के बोतलों में दूध पिलाई जाती है, क्यूंकि इससे बच्चों को दूध पिलाने में आसानी भी होती है और कभी-कभी शिशु चम्मच से दूध पिने में रोने लगते हैं तो इस चीज़ से भी बचा जा सकता है और ज़्यादा वक़्त भी नहीं लगता। पर एक बार आप शांत दिमाग से सोचें की कहीं आप वक़्त बचाने और सुविधा के चक्कर में अपने शिशु के स्वास्थ्य को जाने-अनजाने में नुकसान तो नहीं पहुंचा रहे हैं। इसलिए हर माता-पिता को जानना यह ज़रूरी है की उनके शिशु के दूध का बोतल उनके शिशु पर क्या प्रभाव डाल सकता है।


1. प्लास्टिक की बोतल भले ही हल्की हो और शिशु के लिए सुविधाजनक हो पर शायद आपको पता नहीं है की प्लास्टिक के बोतल में ना दिखने वाली रासायनिक द्रव्य की कोटिंग होती है और इसमें गर्म दूध डालने पर वो रसायन आपके शिशु के दूध में मिक्स हो सकती है जिससे आपके बच्चे को काफी नुकसान हो सकता है।

2. बोतल से दूध पीने से आपके शिशु के पाचन शक्ति पर भी असर पड़ेगा क्यूंकि एक तो बाहरी दूध और उसपर से प्लास्टिक जो की ना सिर्फ शिशु बल्कि बड़ों तक के लिए हानिकारक होते हैं। इससे आपके शिशु को पेट की बिमारी, उल्टी या अन्य कई शारीरिक परेशानियां हो सकते हैं।

3. सिर्फ शारीरिक नहीं बल्कि मानसिक समस्या भी आपके शिशु को हो सकती है। बोतल का दूध शिशु के मस्तिष्क पर भी असर कर सकता है जिससे शिशु की मेन्टल ग्रोथ देर से भी हो सकती है।

4. बोतल से दूध पिलाने से आपके शिशु को वज़न बढ़ने या मोटापे की समस्या भी हो सकती है इसके अलावा आपके शिशु को इसकी आदत लग सकती है जिससे आगे चलकर आपके शिशु को नुकसान हो सकता है। क्यूंकि इससे हो सकता है आपका शिशु पूर्ण आहार ना ले या आपका शिशु खाने के लिए नखरे करने लगे।

5. इससे आपके शिशु को इन्फेक्शन होने का खतरा होता है और आपके शिशु की इम्यून पावर पर भी असर होता है।

अगर मज़बूरी हो बाहर का दूध देना


कभी-कभी माँ की मज़बूरी हो जाती है शिशु को बाहर का दूध देने की क्यूंकि किसी-किसी महिलाओं के कुछ कारणों से दूध नहीं बनते जिस कारण उन्हें अपने शिशु को बाहर का दूध देना मज़बूरी बन जाता है। अगर आप भी ऐसे ही किसी मज़बूरी में हैं तो घबराएं ना। आप अपने शिशु को चम्मच से दूध पिलाएं और जब वो थोड़ा बड़ा हो जाए तो उसे ग्लास से दूध पीने की आदत डलवाये। अगर आपका शिशु चम्मच या ग्लास से दूध नहीं पी रहा और आप बोतल ले रहे हैं तो कोशिश करें की स्टील की बोतल लें या प्लास्टिक की बोतल ले भी रहे हैं तो अच्छे क्वालिटी की ही बोतल लें। और पहले उसे गरम पानी में बॉईल कर लें। बोतल कुछ महीने में बदले, इसके अलावा निप्पल को भी बदलें। अगर बोतल या बोतल के निप्पल का रंग बदल गया है तो उसे तुरंत बदले क्यूंकि ज़्यादा यूज़ करने से भी ऐसा होता है। कोशिश करें की पूरे दिन कम से कम बोतल का उपयोग करें और शिशु को चम्मच और ग्लास से ही दूध पीने की आदत डलवाये। अगर आपका शिशु कुछ-कुछ खाना सिख गया है तो उसे हेल्दी खाना जैसे सब्ज़ियों के सूप, या घर पर बना जूस दें और बोतल छुड़ाकर कर ग्लास से दूध पीने की आदत डलवाएं।

याद रखें की 'प्रीकॉशन इस बेटर देन क्योर' और आपके शिशु की सुरक्षा आपके हाथों में है इसलिए ध्यान रखें और अपने शिशु को सुरक्षित और स्वस्थ्य रखें।

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