हाल ही में हुए जैनेटिक अध्ययन में पाया गया है की हमारी बौध्दिकता महिला X गूणसूत्र (क्रोमोजोम) से होती है। अध्ययन के अनुसार मां का जैनेटिक तय करता है की उनका बच्चा कितना चतुर होगा और पिता का इसपर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। महिलाओं के बौद्धिक जीन्स संचारित करने की संभावना अधिक होती है क्योंकि वह X गूणसूत्र संचारित करती है और महिलाओं के पास यह दो होते हैं इसलिए बौद्धिकता संचारित करने की संभावना अधिक होती है।
X गूणसूत्र में हजारों जीन्स होते हैं और इस अध्ययन से पहले डॉक्टर यकीन करते थे की माता-पिता दोनों ही अपने बच्चे की बौध्दिकता में समान योगदान देते हैं और जिम्मेदार होते हैं।वैज्ञानिक अब मानते हैं की जो उन्नत जीन्स संज्ञानात्मक कार्यो के लिए जिम्मेदार है वह पिता से प्राप्त होते हैं, संभवतः अपने आप निष्क्रिय हो जाते हैं। सक्रिय जीवन शैली का अनुवांशिक विकास पर प्रभाव पड़ता है और निष्क्रिय जीन का नहीं पड़ता है। यदि मात्र एक भी विशेषता है जो मां द्वारा प्रभावित हैं, तो पिता के जीन्स अपने आप निष्क्रिय हो जाएंगे। अगर मात्र एक भी विशेषता पिता से प्रभावित होती है तो मां के जीन्स निष्क्रिय हो जाएंगे।
जीन्स की एक श्रेणी को “ कंडिशन्ड जीन्स” के नाम से जाना जाता है और माना जाता है की यह तभी कार्य करते हैं जब यह कुछ मामलों में मां से प्राप्त होते हैं और कुछ में पिता से। माना जाता है की बौद्धिकता उन जीन्स में होती है जो मां से प्राप्त होते हैं। कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी ने 1984 में मस्तिष्क के विकास और जैनोमिक कंडिशन्ड पर अध्ययन किया था। कैम्ब्रिज के वैज्ञानिकों ने निष्कर्ष निकाला की मां के जीन्स मस्तिष्क के केंद्र को अधिक मेटिरियल देते हैं। अनुवांशिक रूप से संशोधित चूहिया पर प्रयोगशाला में किए गए अध्ययन से पता चलता है की मां के जीन्स की अधिकता वाले चूहों का दिमाग़ बड़ा होता है और शरीर छोटा, इसी के विपरित जिनमें पिता के जीन्स की अधिकता थी, उनमें शरीर बड़ा था और दिमाग छोटा।
अध्ययन में पाया गया है की ऐसी कोशिकाएं थी, जिनमें चूहे के दिमाग के छह अलग-अलग हिस्सों में मां और पिता के जीन्स शामिल थे,जो विभिन्न संज्ञानात्मक कार्यों को नियंत्रित करते थे।
कोशिकाएं जो पिता के जीन्स से जुड़ी थी उनमें सेक्स, भोजन और गुस्से जैसे कार्य शामिल हैं, जो लिम्बिक सिस्टम में पाए जाते हैं। हालांकि शोधकर्ताओं को सेरेब्रल कोर्टेक्स में कोई पैतृक कोशिकाएं नहीं मिली हैं, जहां ज्यादातर विचार, तर्क, भाषा और योजना जैसे उन्नत संज्ञानात्मक कार्य होते हैं।
लेकिन एक तर्क यह भी है की इंसान और चूहे भिन्न है और इस सिद्धांत को लोगो पर साबित करने के लिए ग्लासगो ने और मानवीय दृष्टिकोण अपनाया। जब उन्होंने 1994 से प्रत्येक वर्ष 14 से 22 आयु के 12,686 युवाओं का साक्षात्कार लिया, तो उन्होंने पाया की चूहों पर परीक्षण किया गया सिद्धांत वास्तविकता में लागू होता है। टीम ने निष्कर्ष निकाला है की बौद्धिकता का सबसे बड़ी द्योतक मां का (IQ) स्तर था। शोध में यह भी पाया गया है की सिर्फ जैनेटिक्स ही बौद्धिकता को निर्धारित नहीं करते हैं।
वाशिंगटन यूनिवर्सिटी में किए गए शोध से पता चलता है की मां और शिशु के बीच सुरक्षित और भावनात्मक संबंध मस्तिष्क के कुछ हिस्सों के विकास के लिए आवश्यक होता हैं। सात साल के दौरान उन्होंने दो समूहों का अध्ययन किया और पाया की जिन बच्चों को भावनात्मक रूप से सहयोग मिला था उनमें बौध्दिक विकास संबंधी आवश्यकताएं पूर्ण थी, उनमें 10% हिप्पोकैंपस था, उन बच्चों की तुलना में जिनकी मां भावनात्मक रूप से दूर थी।
40-60% अनुवांशिक है और अन्य वातावरण और पोषण पर निर्भर करता है, लेकिन यह निष्कर्ष निकालना सुरक्षित है की हमें अपनी मां का एहसानमंद होना चाहिए क्योंकि उन्हीं के कारण हम बुद्धिमान हैं।